भारत समेत कई देशों के नागरिक इस्लामिक आतंकवाद का मुद्दा उठा रहे हैं यहां तक कि यह मुद्दा फ्रांस में भी बेहद चल रहा है ,
बता दें कि फ्रांस भी उन देशों में से है जो इस्लामिक आतंकवाद को शांति के लिए एक खतरा मानते हैं
इन सबसे परे मुख्य बात तो यह है कि अगर इस प्रकार की हिंसक घटनाएं होती है तो क्या किसी मजहब को निशाना बनाना उचित है या किसी विशेष समुदाय को ही आतंकवाद के लिए जिम्मेदार मानना उचित है,
काल्पनिक चित्र |
जब हिटलर द्वारा जर्मनी में हिंसा की गई तब भी क्या किसी ने इसे धर्म के नजरिए से देखा था या फिर किसी व्यक्ति की कट्टर मानसिकता की नजरिए से
हम ऐसा नहीं कह रहे हैं कि दुनिया अभी आतंकवाद से नहीं जूझ रही है हमारे कहने का स्पष्ट अर्थ यही है कि किसी भी प्रकार की हिंसा होने पर हिंसा करने वाले व्यक्ति के धर्म को देखकर उसके पूरे समुदाय को निशाना बनाना किसी भी प्रकार से उचित नहीं है इससे समाज के लोगों में गलत प्रभाव पड़ता है
हालांकि अब यही देखना होगा कि लोग ऐसे मुद्दों को किस प्रकार के नजरिए से देखते हैं क्योंकि अभी के हालात से तो यही लगता है कि लोगों में दूसरों की भावनाओं को समझने कि किसी भी प्रकार की समझ नहीं है
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