कोरोनावायरस की वजह से चीन को दुनिया भर से लोगों की आलोचना झेलनी पड़ रही है बता दें कि कोरोनावायरस की शुरुआत चीन के वुहान से मानी जाती है जहां पर शुरुआती मामले चीन ने छुपाए थे
वहीं दूसरी ओर चीन के साथ आपत्तीजनक संबंधों में रहने वाले ताइवान मैं अब चीन की मुश्किलें और बढ़ा दी बता दें कि ताइवान में अब अपने पासपोर्ट की रीडिजाइन की घोषणा की है जिसमें से अब ताइवान पासपोर्ट पर लिखे हुए नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना को हटाने जा रहा है
रिपब्लिक ऑफ चाइना नाम पासपोर्ट पर बने एक चीन में छोटे से रूप में लिखा जाएगा इसकी मुख्य वजह यही बताई जा रही है कि ताइवान के पासपोर्ट पर लिखे हुए नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना की वजह से उनके नागरिकों को बाहर घूमने में परेशानी हो रही है क्योंकि लोग उन्हें गलती से चीनी समझ रहे हैं इसलिए ताइवान ने अपने देश के पासपोर्ट को रीडिजाइन करने की घोषणा की
हालांकि ताइवान चुनिंदा देशों में शामिल है जहां कोरोनावायरस को काफी हद तक नियंत्रण में कर लिया गया है लेकिन उनके पासपोर्ट के नाम की वजह से और चीनी संबंधों की वजह से उनके नागरिकों को अलग-अलग समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है इससे बचने के लिए ताइवान ने यह एक नया तोड़ निकाला है
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि केवल कोरोनावायरस ही पासपोर्ट को रीडिजाइन करने की एकमात्र वजह है क्योंकि जानकारों का मानना है कि ताइवान इस पासपोर्ट के नाम बदलकर अपने आप को चीन से अलग करना चाहता है अर्थात अपनी अलग पहचान बनाना चाहता है
बता दें कि भारत समेत बहुत से देशों ने अभी तक ताइवान को देश की मान्यता नहीं दी है विश्व में कुछ ही देश है जिन्होंने ताइवान को मान्यता दी है इसकी मुख्य वजह यह है कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है एवं अपनी वीटो पावर की वजह से यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल मैं ताइवान को देश बनने नहीं देता लेकिन ताइवान के दूसरे देशों से अनऑफिशियल संबंध जरूर है जिसके तहत ताइवान ट्रेड करता है
1949 से ताइवान के पास अपनी स्वयं की सरकार है अपनी करेंसी है यहां तक की ताइवान के पास अपने खुद का एक अलग भूभाग भी है जो कि चारों तरफ समुद्र से घिरा है
लेकिन चीन अपनी भवन चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान को अपना हिस्सा मानने के साथ-साथ यह भी कहता है कि ताइवान 1 दिन चीन का हिस्सा बन जाएगा अर्थात चीन के नेतृत्व का हिस्सा बन जाएगा
1895 तक चीन का ताइवान पर नियंत्रण था उस समय चीन की QUING DYNASTY के तहत चीन के नियंत्रण में यह हिस्सा था लेकिन जापान से युद्ध के बाद ताइवान और चीन अलग अलग हो गए इसकी मुख्य वजह वहां की स्थानीय सरकार थे चीन अपनी कम्युनिस्ट पार्टी को सत्ता में लाना चाहता था लेकिन ताइवान अपनी खुद की पार्टी को बाद में कम्युनिस्ट पार्टी के विरोधी भागकर ताइवान में चले गए इसकी मुख्य वजह कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा विरोधी पार्टी पर दमन था इसलिए चीन में राज कर रहे नेशनलिस्ट पार्टी के नेता उन्हें आगे जाकर ताइवान में शरण लेने के बाद वहां की राजनीति को नियंत्रण में लिया
पासपोर्ट पर लिखा हुआ नाम रिपब्लिक ऑफ चाइना वहां की नेशनलिस्ट पार्टी की सरकार का नाम है जो एक समय चीन में राज करती थी और आगे चलकर उसने ताइवान पर भी राज किया
उसके बाद के कुछ सालों में ताइवान और चीन के बीच रिश्ते थोड़े ठीक हुए लेकिन चीन ने 1980 के दशक में एक नया फार्मूला लाया जिसके अंतर्गत चीन ने कहा कि ताइवान को हम स्वायत्तता दे देंगे अगर वह चीन जीवन चाइना पॉलिसी के तहत उसे अपना ही सामान ले लेकिन ताइवान ने इस फार्मूले को ठुकरा दिया
1980 के दशक के बाद ताइवान के नागरिकों ने अपने पासपोर्ट से रिपब्लिक ऑफ चाइना की जगह ताइवान लिखना शुरू कर दिया जिससे चीन और ज्यादा भड़क गया तत्पश्चात चीन ने यह घोषणा की कि ताइवान के उन किसी भी नागरिकों को देश में प्रवेश नहीं दिया जाएगा जो पासपोर्ट पर रिपब्लिक ऑफ चाइना की जगह रिपब्लिक ऑफ ताइवान लिखेंगे
इस बात का समर्थन करते हुए सिंगापुर जैसे देशों ने रिपब्लिक ऑफ ताइवान का स्टीकर लगाने वाले ताइवान के नागरिकों की वीजा को कैंसिल कर दिया गया था
लेकिन अब ताइवान की सरकार द्वारा नागरिकों को रिपब्लिक ऑफ चाइना की वजह से दूसरे देशों में यात्रा करने में हो रही समस्या के कारण अपने पासपोर्ट को संशोधित करना पड़ा.
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