क्या है बाइडेन की चुनाव में भारत के प्रति नई रणनीति ?

अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन का भारत के प्रति बदलते रूप

अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन ने चुनाव जीतने के लिए एक नई रणनीति बनाई है ,इस रणनीति के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को राजनीतिक चुनाव में पराजित करने के लिए भारत के प्रति एक सकारात्मक बयान दिया है
डोनाल्ड ट्रंप और जो बिडेन की डिबेट

उन्होंने संबोधित करते हुए कहा कि हम चीन पाकिस्तान की जगह भारत के रिश्तो को महत्व देंगे,
हालांकि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होने से पहले वे कश्मीर पर भारत के विरुद्ध अनेक बयान दे चुके हैं,
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने से पहले उन्होंने कहा कि वे कश्मीर के मानवाधिकार उल्लंघन पर भारत के रवैया से नाराज है और वह इस समस्या को गंभीर रूप से देख रहे हैं
हालांकि चुनाव आते ही उन्होंने अपना रंग बदल लिया जैसे किसी प्रकार से कोई गिरगिट बदलता है
आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बिडेन ने दिल्ली की हिंसा पर संवेदनशील बयान दिया था उन्होंने अपने ट्विटर पर किए गए ट्वीट पर यह लिखा कि दिल्ली की हिंसा मुस्लिमों को विशेष रूप से निशाना बनाने के लिए की गई थी, और डोनाल्ड ट्रंप के दौरे के कारण हुई
जो बिडेन के साथ-साथ उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस भी भारत के प्रति इसी प्रकार रंग बदलने वाला बयान दे रही है उन्होंने पहले कहा था कि अगर जरूरत पड़ी तो हम कश्मीर में कार्रवाई करेंगे लेकिन जैसे ही चुनाव आए उन्होंने अपने भारतीय अफ्रीकी मूल का होने और भारत के लोगों के प्रति सकारात्मक बयान दिया
इसके साथ-साथ भाई डे ने यह भी कहा कि वह सीमा पार से हो रहे आतंक को बर्दाश्त नहीं करेंगे यह निशाना उनका मुख्य रूप से पाकिस्तान और चीन को था |

कौन सा अमेरिकी राष्ट्रपति भारत के लिए बेहतर

अमेरिका में मुख्य रूप से दो पार्टियां होती है एक डेमोक्रेट पार्टी और दूसरी रिपब्लिकन पार्टी
अगले अमेरिकी चुनाव में डेमोक्रेट पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन है और दूसरी ओर रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप है जो पहले भी राष्ट्रपति रह चुके हैं
भारत के रिश्तो के लिए बेहतर राष्ट्रपति वर्तमान समय में डोनाल्ड ट्रंप माने जा सकते हैं ,क्योंकि वह पहले भी भारत का दौरा कर चुके हैं और भारत के प्रति कई सकारात्मक बयान दे चुके हैं उन्होंने भारत के साथ और भारत के लोगों के साथ यहां तक कि अमेरिकी भारतीयों के साथ भी अपना अच्छा समर्थन दर्शाया है ,बता दे किसके साथ सातवें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के अच्छे मित्र भी हैं |

अमेरिकी राष्ट्रपति से कश्मीर नीति पर प्रभाव

अमेरिका में चुने जाने वाले राष्ट्रपति पर भारत की कश्मीर की अंतरराष्ट्रीय नीति पर प्रभाव देखा जा सकता है , हालांकि रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार के जीतने पर भारत के प्रति कभी भी नकारात्मक प्रभाव नहीं देखा गया है वहीं दूसरी ओर अगर देखा जाए तो डेमोक्रेट्स पार्टी के उम्मीदवार जैसे जो बिडेन और कमला हैरिस कभी तो भारत के प्रति सकारात्मक बयान देते हैं तो कभी कश्मीर नीति मानवाधिकारों को लेकर और कभी दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर किसी धर्म विशेष को निशाना बनाते हैं हालन की भविष्य ही बताएगा की आने वाले राष्ट्रपति से भारत की कश्मीर नीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा |

भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक

अमेरिका में रहने वाले भारतीय जो कभी भारत के नागरिक थे और विदेश जाकर अमेरिका की नागरिकता ले ली को लुभाने के लिए भारत के प्रति सकारात्मक बयान अमेरिका के नेता वोट कमाने के लिए लेते हैं
बता दें कि अमेरिका में लाखों भारतीय रहते हैं जो रोजगार और अन्य कारणों से वहां बस गए हैं ॥ 

अमेरिका भारत के संबंध

आजादी के समय अमेरिका और भारत के संबंध अच्छे नहीं थे उस समय अमेरिका के संबंध पाकिस्तान से अच्छे थे यहां तक की 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान के पास अधिकतर हथियार अमेरिका द्वारा दिए हुए थे , यहां तक कि उनके टैंक भी दे रखे थे लेकिन धीरे-धीरे अमेरिका का पाकिस्तान के रिश्ते गिरावट देखी गई इसका मुख्य कारण पाकिस्तान में पल रहे आतंकी थे वर्तमान समय में अमेरिका और भारत के रिश्ते बेहद अच्छे हैं यहां तक कि भारत टॉप ड्रोन और आदि हथियार भी अमेरिका से लेता है |

डोनाल्ड ट्रंप क्यों चाहते हैं कि चुनाव देरी से हो

अमेरिका में कोरोना महामारी से अभी तक डेढ़ लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है इसलिए अमेरिका के राष्ट्रपति चाहते हैं कि कोरोना की वैक्सीन आने तक चुनाव चल जाए ताकि वह वहां के स्थानीय लोगों का समर्थन हासिल कर सके , 
 बता दें कि कोरोनावायरस से लाखों अमेरिकी नागरिक रोजगार से वंचित हो चुके हैं उनके प्रति सकारात्मक रूप के लिए भी वह चुनाव में देरी चाहते हैं , 
अभी के सर्वे के मुताबिक जो बिडेन चुनावी रणनीति में आगे देख रहे हैं क्योंकि उनके विचार कोरोना विषाणू से मरने वाले लोगों के प्रति संवेदनशील है और वह पहले भी अमेरिका के उपराष्ट्रपति रह चुके हैं |

चुनाव पर मीडिया का प्रभाव

चुनाव पर मीडिया का वेद प्रभाव पड़ता है पिछले अमेरिकी चुनाव में भी सीएनएन , वॉशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स ने लोगों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी ,कई विचारों को का मानना है कि जो चुनावी नेता मीडिया पर नियंत्रण रखता है और प्रभाव जमाता है वही लोगों पर नियंत्रण रखता है ,अर्थात इस बात से मना नहीं किया जा सकता कि चुनाव में मीडिया का अत्यंत संवेदनशील रोल होता है आप इसका अंदाजा भारत में होने वाले चुनाव से भी लगा सकते हैं  |

कोरोनावायरस का अमेरिकी चुनाव पर प्रभाव

कोरोना विषाणू की महामारी के बीच अमेरिका में चुनाव आयोग द्वारा चुनाव करवाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि अमेरिका में प्रतिदिन कोरोनावायरस के केस लगातार बढ़ रहे हैं, 
कोरोना विषाणू से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिकी राज्य केलिफोर्निया है . 
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