लोक डाउन से भारत की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी बेहद बुरा असर पड़ा है जिसने रोजी रोटी ही नहीं बल्कि उनके सोचने समझने की क्षमता ओं को भी पूरी तरह प्रभावित किया हैImage by Natasha Spenser from Pixabay
विशेषज्ञों का यहां तक मानना है कि प्रभावित मानसिक स्वास्थ्य वाले मरीजों की उम्र लगभग 19 वर्ष से 40 वर्ष है अर्थात भारत के युवाओं पर कोरोना विषाणू से बेहद उच्च स्तर पर नुकसान सहन करना पड़ा है
मानसिक स्वास्थ्य ज्यादा खराब होने पर मरीज आत्महत्या भी कर लेते हैं क्योंकि यह एक प्रकार से निराश आवाज अर्थात डिप्रेशन की स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति की सोचने समझने की क्षमता पूरी तरह प्रभावित देती है
अर्थात व्यक्ति अपनी सामान्य स्थिति से अलग प्रकार से सोचता है उसके विचार बार-बार बदलते रहते हैं एवं एक प्रकार से दुख महसूस होता है
अगर आपके किसी भी परिवार या साथी यस बैंक के साथ किसी भी प्रकार से मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ा हो तो आप अपने नजदीकी स्वास्थ्य अस्पताल में एक बार विशेषज्ञ को दिखाने के
बारे में चर्चा कर ले क्योंकि ऐसी स्थिति में अकेलापन व्यक्ति को अंदर ही अंदर खाता जाता है जिससे भेजती गहरे डिप्रेशन में चला जाता है
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